Satish Ji

परिचय:-

परम पूज्य सद्गुरुदेव आचार्य सतीश जी अवस्थी(सरस जी)

यमुना नदी के पावन तट पर स्थित जनपद-औरैया के जिला मुख्यालय,ककोर के समीप स्थित ग्राम सोंधेमऊ में आचार्य पं. सतीश जी अवस्थी (सरस जी) का जन्म आषाढ़ शुक्ल पंचमी विक्रम सम्बत २०२७. तारीख 09-जुलाई-1970 दिन गुरुवार को श्रेष्ठ कान्यकुब्ज ब्राम्हण परिवार में हुआ। पूज्य महाराज श्री ने बचपन से ही घर में हो रहे पाण्डित्य कर्म को देखा जिसके कारण निरंतर ही उनकी रुचि धार्मिक कार्यो में बढ़ती रही। आपके दादा जी पं0 श्री गोविन्द जी अवस्थी पिता यशःशेष पं श्री प्रेमनारायण अवस्थी एवं आपकी माता का नाम श्री मती उमादेवी हैं।

शिक्षा:-

आपने अपनी प्रारम्भिक शिक्षा अपने गाँव के निकट स्थित ग्राम बूढ़ादाना में संस्कृत विद्यालय से पूर्ण की तथा उच्च शिक्षा ग्रहण की लालसा होने के कारण आचार्य श्री में श्री सम्पूर्णानन्द विश्वविद्यालया से सम्बद्ध संस्कृत महाविद्यालय,औरैया से आचार्य (एम.ए.) व्याकरण और साहित्य से प्रथम श्रेणी मे उत्तीर्ण करके आचार्य की उपाधि ग्रहण की। आपने 1६ बर्ष की उम्र से ही कथा का वाचन प्रारम्भ कर दिया जिसकी शिक्षा पूज्य महाराज श्री ने अपने पिता के बड़े भाई भागवत के उदभद् विद्वान यश:शेष पं0 श्री भगवती प्रसाद अवस्थी से ग्रहण की।

अनुभव:-

16 वर्ष की उम्र से ही आचार्य श्री ने कथा का वाचन प्रारम्भ कर दिया” महाराज’ को कथा कहते-कहते लगभग 30+ वर्ष हो गयी है जिसमे उन्होंने लगभग सम्पूर्ण भारत वर्ष में के विभिन्न शहरों विभिन्न गांवों में 750+ कथाओ का वाचन कर चुके है और यह निरंतर चल रहा है।

Youtube पर आचार्य सतीश जी अवस्थी की कथा सुनने के लिए यह Click करे

परम पूज्य सद्गुरुदेव स्वामी भागवतानन्द सरस्वती

आचार्य श्री के गुरूदेव:-

परमार्थ आश्रम, ऋषिकेश,हरिद्वार, मथुरा,आनंद धाम वृन्दावन परम पूज्य स्वामी श्री अखण्डानन्द जी महाराज के परम प्रिय शिष्य स्वामी श्री भागवतानन्द सरस्वती से दीक्षा ग्रहण की । ॐ नमः शिवाय धाम मंदिर और ज्योतिष केंद्र का निर्माण 2011 आचार्य श्री के द्वारा ॐ नगर औरैया मे करवाया गया जिसमे शिव परिवार की स्थापना की गई।

आचार्य सतीश जी अवस्थी ने बहुत से शिष्यों को भागवत की शिक्षा जो आज सफल वक्ता बनकर भागवत कथा के माध्यम से प्रभु की मधुर लीलाओं क गुणगान कर रहे हैं।

पूज्य महाराज श्री ने एक गाँव में 50+ से अधिक कथाओं को करके भागवत की एक अनोखी अलख जगाई।

बर्ष 2017 में पूज्य श्री कों हिन्दी प्रोत्साहन निधि के द्वारा ‘नगर रत्न’ की उपाधि से अलंकृत किया गया। आज भी महाराज श्री सनातन धर्म की रक्षा हेतु, धर्म के प्रचार-प्रसार के लिये, राष्ट्र उत्थान एवं विश्व शांति के लिए देश-विदेश मे भागवत कथा का वचन कर रहे है।

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